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26 अगस्त डेली करेंट अफेयर्स
‘हवाना सिंड्रोम’ (Havana Syndrome) क्या है?
हवाना सिंड्रोम (Havana Syndrome) पहली बार 2016 में क्यूबा में तैनात राजनयिकों में रिपोर्ट किया गया था। उन्होंने अजीत लक्षणों का अनुभव किया जिसने सरकार और वैज्ञानिक जांच की एक श्रृंखला को प्रेरित किया। कुछ अधिकारियों ने इसे असामान्य स्वास्थ्य घटना बताया तो कुछ ने हमला बताया।
मुख्य बिंदु
हालाँकि अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा किए गए अध्ययन में “directed, pulsed radiofrequency energy” एक कारण के रूप में है। रूस ने भी इस बीमारी में माइक्रोवेव हथियारों की भूमिका से इनकार किया है। इस बीमारी के कुछ लक्षणों में मतली, थकान, मानसिक परेशानी और चक्कर आना शामिल हैं।
माइक्रोवेव हथियार (Microwave weapons)
ये एक प्रकार के प्रत्यक्ष ऊर्जा हथियार (direct energy weapons) हैं। इस हथियार के द्वारा लक्ष्य एक लक्ष्य पर ध्वनि, लेजर या माइक्रोवेव ऊर्जा केंद्रित की जाती है। जो लोग उच्च तीव्रता वाले माइक्रोवेव पल्सेस के संपर्क में आते हैं, वे सिर में एक क्लिक या भनभनाने की आवाज की महसूस करते हैं। इस हथियार के तीव्र और दीर्घकालिक दोनों प्रभाव हो सकते हैं। हालाँकि इसके कारण शारीरिक क्षति का कोई संकेत नहीं दिखता है।
हवाना सिंड्रोम
हवाना सिंड्रोम अमेरिकी राजनयिकों की बीमारी से मेल खाता है। वर्ष2016 में अजीब सी आवाजें सुनने के बाद वे बीमार महसूस करने लगे। वे अजीब शारीरिक संवेदनाओं का भी अनुभव कर रहे थे। तब से, इस बीमारी को “हवाना सिंड्रोम” कहा जाने लगा।
‘हवाना सिंड्रोम’ पर NAS की रिपोर्ट
एनएएस ने “An assessment of illness in US government employees and their families at overseas embassies” नामक एक रिपोर्ट पेश की है।यह रिपोर्ट दवा और अन्य क्षेत्रों में 19 विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा तैयार की गयी थी। उन्होंने कारणों की व्याख्या करने के लिए चार संभावनाओं अर्थात् संक्रमण, रसायन, मनोवैज्ञानिक कारक और माइक्रोवेव ऊर्जा की जांच की।इस रिपोर्ट में directed pulsed RF energy को सबसे अधिक संभावित तंत्र माना गया है।
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वित्त वर्ष 2022 में आसियान को भारत का निर्यात 46 अरब डॉलर होगा
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल के अनुसार, भारत द्वारा वित्तीय वर्ष 2022 में आसियान को 46 बिलियन अमरीकी डालर का निर्यात करने की संभावना है।
मुख्य बिंदु
- भारत-आसियान इंजीनियरिंग साझेदारी शिखर सम्मेलन (India-ASEAN Engineering Partnership Summit) का उद्घाटन 23 अगस्त, 2021 को हुआ।
- यह विदेश मंत्रालय और वाणिज्य विभाग के सहयोग से इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (Engineering Exports Promotion Council – EEPC) द्वारा आयोजित किया गया था।
- उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए, मंत्री ने कहा कि, आसियान भारतीय निर्यात के लिए सबसे बड़े गंतव्यों में से एक है और वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 400 बिलियन डालर के वैश्विक निर्यात लक्ष्य को पूरा करने में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में कार्य करेगा।
- भारत-आसियान व्यापार और निवेश पर एक ई-बुक भी लॉन्च की गई जो इंजीनियरिंग और MSME क्षेत्र पर जोर देती है।
- वर्ष 2021 भारत-आसियान संवाद साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ और सामरिक साझेदारी के 10 वर्ष का प्रतीक है ।
पृष्ठभूमि
वित्त वर्ष 2021-22 के लिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 400 बिलियन डालर के व्यापारिक निर्यात का लक्ष्य रखा है। उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए रोडमैप भी तैयार किया है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत, केंद्र सरकार ने हाल ही में 26 बिलियन अमरीकी डालर की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना को मंजूरी दी है। इसमें निवेश को आकर्षित करने और भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिए फार्मास्यूटिकल्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौर मॉड्यूल, ऑटोमोबाइल, विशेष स्टील और चिकित्सा उपकरणों जैसे 13 क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
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मंत्रिमंडल ने गन्ने के लिए अब तक के उच्चतम FRP को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 अगस्त, 2021 को गन्ना किसानों के लिए अब तक के उच्चतम उचित और लाभकारी मूल्य (Fair & Remunerative Price – FRP) को मंजूरी दी है।
मुख्य बिंदु
- गन्ने का FRP 2021-22 के लिए बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। यह कीमत 10% रिकवरी पर आधारित होगी।
- रिकवरी 9.5% से कम होने पर किसानों को 275 रुपये प्रति क्विंटल का FRP दिया जाएगा।
- यह मंजूरी अब तक की सबसे अधिक FRPहै और इससे 5 करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को फायदा होगा।
- इससे उन 5 लाख श्रमिकों को भी लाभ होगा जो चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत हैं।
- विपणन वर्ष अक्टूबर-सितंबर के लिए FRP में वृद्धि की गई है।
- इथेनॉल सम्मिश्रण (Ethanol Blending)
- हाल के वर्षों में इथेनॉल का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल पेट्रोल में 7.5-8% एथेनॉल मिलाया जाता है। पेट्रोल में मिश्रित इथेनॉल का प्रतिशत अगले 2-3 वर्षों में 20% से अधिक बढ़ने की संभावना है।
उचित और लाभकारी मूल्य (FRP) क्या है?
FRP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों से खरीदा जाता है। यह कीमत केंद्र सरकार द्वारा कृषि लागत और मूल्य आयोग ( Commission for Agricultural Costs and Prices – CACP) की सिफारिशों के आधार पर तय की जाती है। यह गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत निर्धारित किया जाता है। FRP उत्पादन की लागत, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कीमतों, मांग-आपूर्ति की स्थिति, अंतर-फसल मूल्य समता आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार करके निर्धारित किया जाता है।
FRP का महत्व
FRP किसानों को मार्जिन प्रदान करता है, भले ही चीनी मिलें लाभ कमा रही हों या नहीं। यह कीमत पूरे देश में समान रूप से लागू है। हालांकि, कुछ राज्य जैसे हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और तमिलनाडु राज्य सलाह मूल्य की घोषणा करते हैं, जो आमतौर पर FRP से अधिक होता है।
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भारत COVID के स्थानिक चरण (endemic stage) में प्रवेश कर सकता है : WHO के मुख्य वैज्ञानिक
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन (Dr. Soumya Swaminathan) के अनुसार, भारत में कोविड-19 महामारी के चरण में प्रवेश कर रहा है, जहां निम्न या मध्यम स्तर का संचरण (transmission) जारी रहेगा।
भारत कैसे स्थानिक अवस्था में प्रवेश कर रहा है?
मुख्य वैज्ञानिक के अनुसार देश भर में आकार, जनसंख्या की विविधता और प्रतिरक्षा स्थिति के कारण, यह संभव है कि भारत में यह स्थिति भारत के विभिन्न हिस्सों में उतार-चढ़ाव के साथ जारी रह सकती है। भारत स्थानिकता के चरण में प्रवेश कर सकता है जहां मध्यम या निम्न स्तर का संचरण होता रहेगा, हालांकि, कोई घातीय वृद्धि (exponential growth) या शिखर नहीं होगा।
बच्चों के बीच COVID-19
बच्चों में COVID-19 के प्रसार के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सेरो सर्वेक्षण के अनुसार, यह संभव है कि बच्चे संक्रमित और संचारित हो सकते हैं। लेकिन उन्हें ज्यादातर समय हल्की बीमारी रहेगी। बहुत कम प्रतिशत में बीमार और सूजन संबंधी जटिलताएं होंगी और कुछ ही मरेंगे। लेकिन यह संख्या वयस्क आबादी से काफी कम होगी।
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पीएम मोदी ने 37वीं ‘प्रगति’ बैठक की अध्यक्षता की
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 अगस्त, 2021 को PRAGATI (Pro-Active Governance and Timely Implementation) के 37वें संस्करण की बैठक की अध्यक्षता की।
मुख्य बिंदु
इस बैठक के दौरान आठ परियोजनाओं और एक योजना की समीक्षा की गई।
‘प्रगति’ बैठक हर महीने में एक बार चौथे बुधवार को दोपहर 3.30 बजे आयोजित की जाती है। इस दिन को प्रगति दिवस कहा जाता है।
PRAGATI क्या है?
यह एक ऐसा मंच है, जो प्रधानमंत्री को संबंधित केंद्रीय और राज्य के अधिकारियों के साथ जमीनी स्तर की स्थिति की पूरी जानकारी और दृश्यों के साथ मुद्दों पर चर्चा करने में सक्षम बनाता है। यह प्लेटफॉर्म 2015 में लॉन्च किया गया था। इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) के सहयोग से प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) टीम द्वारा डिजाइन किया गया है।
प्रगति के तीन उद्देश्य हैं:
- शिकायत निवारण
- कार्यक्रम कार्यान्वयन
- परियोजना निगरानी
पोर्टल का महत्व
यह पोर्टल सहकारी संघवाद को बढ़ावा देता है क्योंकि यह भारत सरकार के सचिवों और राज्यों के मुख्य सचिवों को एक मंच पर लाता है। यह एक मजबूत प्रणाली है जो हितधारकों के बीच रीयल-टाइम उपस्थिति और आदान-प्रदान द्वारा ई-पारदर्शिता और ई-जवाबदेही लाती है।
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IBSA NSA बैठक का आयोजन किया गया
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, अजीत डोभाल ने 25 अगस्त, 2021 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से IBSA राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों (National Security Advisers – NSAs) की उद्घाटन बैठक की मेजबानी की।
मुख्य बिंदु
इस बैठक में, IBSA NSA ने समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा की। वे इस तथ्य पर सहमत हुए कि आतंकवाद विशेष रूप से सीमा पार आतंकवाद राज्य के प्रायोजन के माध्यम से किया जा रहा है। यह वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे प्रबल खतरा बना हुआ है। अत: एकजुट प्रयासों से इसका मुकाबला किया जाना चाहिए। वे खुफिया जानकारी साझा करने, राष्ट्रीय एजेंसियों के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान और क्षमता निर्माण के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी सहमत हुए। यह IBSA देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की पहली ऐसी बैठक थी जो IBSA देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग के महत्व को दर्शाती है।
पृष्ठभूमि
यह बैठक नेताओं के अगले IBSA शिखर सम्मेलन के लिए तैयारी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में आयोजित की गई थी। यह शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में आयोजित होगा।
IBSA (India, Brazil, South Africa) IBSA (भारत, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका) डायलॉग फोरम एक अंतर्राष्ट्रीय त्रिपक्षीय समूह है जो सदस्य देशों के बीच अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। यह दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ाने के लिए तीन महत्वपूर्ण ध्रुवों का प्रतिनिधित्व करता है और साथ ही तीन महत्वपूर्ण महाद्वीपों, अफ्रीका, एशिया और दक्षिण अमेरिका के बीच अधिक समझ रखता है। यह फोरम सदस्य देशों को कृषि, संस्कृति, व्यापार और रक्षा के क्षेत्र में चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
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समर्थ योजना (Samarth Scheme) : 1500 कारीगर प्रशिक्षण से लाभान्वित हुए
कपड़ा मंत्रालय के अनुसार 63 समर्थ प्रशिक्षण केंद्रों में 1500 से अधिक कारीगरों को प्रशिक्षण देकर लाभान्वित किया गया है।
मुख्य बिंदु
- कपड़ा मंत्रालय ने समयबद्ध तरीके से कारीगरों के समग्र विकास के लिए लगभग 65 समूहों को अपनाया है।
- समर्थ योजना के तहत तकनीकी एवं सॉफ्ट स्किल प्रशिक्षण प्रदान कर हस्तशिल्प कारीगरों की अपस्किलिंग की जा रही है। यह स्थायी आजीविका पर भी बल देता है।
समर्थ योजना (Samarth Scheme)
कपड़ा उद्योग में कौशल अंतर को भरने के लिए कपड़ा मंत्रालय ने 2017 में “Scheme for Capacity Building in Textile Sector (SCBTS)” लांच की थी। संगठित क्षेत्र में बुनाई और कताई को छोड़कर कपड़ा उद्योग की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला के लिए इस योजना को मंजूरी दी गई। SCBTS योजना को वर्तमान में ‘समर्थ योजना’ के रूप में जाना जाता है। इसे तीन साल (2017-18 से 2019-20) के लिए 1,300 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था।
इस योजना को निम्न उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था:
- कपड़ा और संबद्ध क्षेत्रों में रोजगार पैदा करने के लिए मांग-संचालित, प्लेसमेंट उन्मुख “राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (National Skills Qualifications Framework – NSQF) अनुरूप कौशल कार्यक्रम” प्रदान करना।
- हस्तशिल्प, हथकरघा, रेशम उत्पादन और जूट के पारंपरिक क्षेत्रों में कौशल उन्नयन के साथ-साथ कौशल को बढ़ावा देना।
- भारत में समाज के हर वर्ग के लिए स्वरोजगार या मजदूरी रोजगार के माध्यम से एक स्थायी आजीविका को सक्षम करना।
कार्यान्वयन एजेंसियां
इस योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसियों में शामिल हैं:
- कपड़ा उद्योग। कपड़ा मंत्रालय या राज्य सरकारों के संस्थान या संगठन जिनका मंत्रालय के साथ प्लेसमेंट टाई-अप और प्रशिक्षण बुनियादी ढांचा है।
- प्रतिष्ठित प्रशिक्षण संस्थान, गैर सरकारी संगठन, समाज, संगठन, कंपनियां, ट्रस्ट, स्टार्ट-अप और उद्यमी जो कपड़ा क्षेत्र में सक्रिय हैं।
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जल शक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया ‘सुजालम’ अभियान
जल शक्ति मंत्रालय ने 25 अगस्त, 2021 को सुजालम (SUJALAM) अभियान की शुरुआत की थी।
सुजालम क्या है?
- सुजालम अभियान ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ समारोह के एक भाग के रूप में शुरू किया गया 100 दिनों का अभियान है।
- यह अभियान भारत के सभी गांवों में अपशिष्ट जल प्रबंधन के जरिए अधिक से अधिक ODF+ गांवों का निर्माण करेगा।
- इस अभियान के दौरान दस लाख सोक-पिट बनाए जाएंगे।
- इस अभियान के तहत गांवों के लिए ODF+ स्थिति को त्वरित तरीके से प्राप्त करने की दिशा में प्रयास किए जाएंगे।
अभियान का महत्व
मंत्रालय के मुताबिक गंदे पानी के प्रबंधन में यह अभियान अहम होगा। यह सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण चरण -2 गतिविधियों के उद्देश्यों को बढ़ावा देगा। यह ODF+ गतिविधियों के बारे में जागरूकता भी बढ़ाएगा।
अभियान का फोकस
यह योजना यह सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी कि पूरे गांव में सभी नए परिवारों की शौचालय तक पहुंच हो।
ODF+ और ODF++ क्या है?
स्वच्छ भारत मिशन – शहरी (SBM-Urban) योजना के पहले चरण के तहत खुले में शौच मुक्त (ODF) का दर्जा हासिल करने के बाद शहरों द्वारा किए गए कार्यों को बढ़ाने और बनाए रखने के उद्देश्य से इसे 2018 में लॉन्च किया गया था।
यह दर्जा पाने के लिए कौन से शहर पात्र हैं?
कम से कम एक बार ODF का दर्जा प्राप्त करने वाले शहर स्वयं को SBM-ODF+ और SBM-ODF++ घोषित करने के पात्र हैं।
स्थिति का उद्देश्य
ये स्थितियाँ शौचालय सुविधाओं को ठीक से बनाए रखने और सभी अपशिष्ट और सीवेज के सुरक्षित संग्रह और उपचार या निपटान के उद्देश्य से प्रदान की जाती हैं। ODF+ का प्राथमिक फोकस पानी, रखरखाव और स्वच्छता वाले शौचालयों पर है। जबकि, ODF++ मुख्य रूप से अपशिष्ट और सेप्टेज प्रबंधन वाले शौचालयों पर केंद्रित है।
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KAZIND-21 : भारत-कजाखस्तान संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास का 5वां संस्करण
भारत-कजाखस्तान संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास KAZIND-21 का 5वां संस्करण 30 अगस्त से 11 सितंबर, 2021 तक आयोजित किया जायेगा।
मुख्य बिंदु
यह संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास सैन्य कूटनीति के एक हिस्से के रूप में आयोजित किया जाएगा।
यह कजाकिस्तान के साथ बढ़ते रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए बेहद उपयोगी है।
यह प्रशिक्षण अभ्यास कजाकिस्तान के आयशा बीबी में आयोजित किया जाएगा।
अभ्यास का महत्व
- संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास से भारत और कजाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
- यह भारत के सशस्त्र बलों को संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के अनुसार पहाड़ी और ग्रामीण परिदृश्यों में आतंकवाद विरोधी आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए प्रशिक्षित करने का अवसर भी प्रदान करेगा ।
- यह आपसी विश्वास, अंतर-संचालन को मजबूत करने और दोनों देशों की सेनाओं के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने में सक्षम बनाने में मदद करेगा।
पृष्ठभूमि
KAZIND -2019 के संस्करण का आयोजन भारत और कजाखस्तान के बीच उत्तराखंड में 2019 में किया गया था।
यह सैन्य अभ्यास वैकल्पिक रूप से कजाकिस्तान और भारत में आयोजित किया जाता है। इस अभ्यास के दौरान, दोनों देशों की सेनाएं अपने अनुभव साझा करती हैं जो उन्होंने कई आतंकवाद विरोधी अभियानों का संचालन करते हुए प्राप्त किया है। इसमें हाइब्रिड युद्ध के उभरते रुझानों के पहलुओं को भी शामिल किया गया है।
हाइब्रिड युद्ध क्या है?
यह खुली शत्रुता में शामिल हुए बिना विरोधियों के कार्यों को बाधित और अक्षम करने के उद्देश्य से बहु-डोमेन युद्धक दृष्टिकोण के तहत अपरंपरागत तरीकों के उपयोग को संदर्भित करता है। उदाहरण के लिए, यूक्रेन के लिए रूस का दृष्टिकोण हाइब्रिड युद्ध का एक रूप है जिसमें आर्थिक हेरफेर, दुष्प्रचार और विद्रोह आदि जैसी गतिविधियों का संयोजन शामिल है।
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DGCI ने भारत के पहले mRNA-बेस्ड COVID-19 वैक्सीन के चरण-2 और 3 परीक्षणों के लिए मंजूरी दे दी
भारत के औषधि महानियंत्रक (DGCI) ने भारत के पहले mRNA- आधारित COVID-19 वैक्सीन HGCO19 के चरण -2 और चरण -3 के लिए मंजूरी दे दी है।
mRNA वैक्सीन कैंडिडेट – HGCO19
इस वैक्सीन कैंडिडेट को पुणे बेस्ड कंपनी जेनोवा (Gennova) द्वारा विकसित किया गया है। यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा Ind-CEPI मिशन के तहत समर्थित है। इसे अमेरिकामें HDT बायोटेक कॉर्पोरेशन के सहयोग से विकसित किया गया है। mRNA-बेस्ड वैक्सीन वैज्ञानिक रूप से एक आदर्श विकल्प हैं, क्योंकि इनका निर्माण शीघ्रता से किया जा सकता है।
यह वैक्सीन कैसे काम करता है?
ये टीके प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए पारंपरिक मॉडल का उपयोग नहीं करते हैं। लेकिन, एमआरएनए वैक्सीन वायरस के सिंथेटिक आरएनए द्वारा शरीर में प्रोटीन बनाने के लिए आणविक निर्देशों का उपयोग करता है।
वैक्सीन की प्रकृति
एमआरएनए टीका प्रकृति में गैर-संक्रामक और गैर-एकीकृत के रूप में उपयोग करने के लिए सुरक्षित है। mRNA टीके पूरी तरह से सिंथेटिक हैं। उन्हें विकास के लिए अंडे या बैक्टीरिया जैसे किसी भी होस्ट की आवश्यकता नहीं होती है। ये टीके कम लागत पर बनाये जा सकते हैं, जिसके कारण ज्यादा से ज्यादा लोग इनका लाभ उठा सकते हैं।
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NERDSD Goal Index Report और Dashboard लॉन्च किया जाएगा
नीति आयोग और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय (DoNER) 26 अगस्त, 2021 को उत्तर पूर्वी क्षेत्र जिला सतत विकास (NERDSD) लक्ष्य सूचकांक रिपोर्ट और डैशबोर्ड 2021-22 का पहला संस्करण लॉन्च करेंगे।
मुख्य बिंदु
- यह भारत में अपनी तरह का पहला क्षेत्रीय जिला SDG सूचकांक होगा।
- NERDSD लक्ष्य सूचकांक रिपोर्ट का लांच भी भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, नागालैंड और त्रिपुरा के 120 जिलों में सतत विकास लक्ष्यों को स्थानीय बनाने के प्रयासों में एक मील का पत्थर है।
- यह सूचकांक नीति आयोग और DoNER मंत्रालय के सहयोगात्मक प्रयासों से तैयार किया गया है।
- इसे नीति आयोग के SDG India Index के आधार पर तैयार किया गया है।
सूचकांक का उद्देश्य
SDG प्राप्त करने की दिशा में तेजी से प्रगति के लिए महत्वपूर्ण अंतराल की पहचान करने और हस्तक्षेपों को सूचित करने के लिए एक मंच की सुविधा के लिए यह सूचकांक को लॉन्च किया जाएगा। यह आठ राज्यों के जिलों के प्रदर्शन को मापेगा।
इस सूचकांक और डैशबोर्ड के लिए तकनीकी सहायता संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा प्रदान की जाएगी।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme – UNDP)
यह संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक विकास नेटवर्क है जो राष्ट्रों में तकनीकी और निवेश सहयोग को बढ़ावा देता है। यह लोगों को अपने लिए बेहतर जीवन बनाने में मदद करने के लिए देशों को ज्ञान, अनुभव और संसाधनों से जोड़ता है। यह पूरी तरह से संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के स्वैच्छिक योगदान के माध्यम से वित्त पोषित है। यह सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals – SDGs) को प्राप्त करने के लिए 177 देशों में काम कर रहा है।
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विश्व बैंक ने अफगानिस्तान में परियोजनाओं की फंडिंग रोकी
तालिबान के देश में नियंत्रण करने के बाद विश्व बैंक ने अफगानिस्तान में परियोजनाओं के लिए फंडिंग को रोक दिया है।
मुख्य बिंदु
- विश्व बैंक ने इस बात पर भी चिंता जताई कि तालिबान का हमला अफगानिस्तान में विकास की संभावनाओं को प्रभावित करेगा, खासकर महिलाओं के संबंध में।
- हाल ही में, IMF ने यह भी घोषणा की कि अफगानिस्तान अब वैश्विक ऋणदाताओं से संसाधनों तक नहीं पहुंच पाएगा।
- अमेरिका ने अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक की संपत्तियां भी जब्त कर ली हैं जो देश में हैं और इसे तालिबान के लिए उपलब्ध नहीं कराया जाएगा। ‘द अफगानिस्तान बैंक’ में लगभग 9 बिलियन डॉलर का भंडार है और इसका अधिकांश भाग अमेरिका में है।
पृष्ठभूमि
विश्व बैंक ने 2002 से अफगानिस्तान में पुनर्निर्माण और विकासात्मक परियोजनाओं के लिए 5.3 बिलियन डॉलर से अधिक के राशि प्रतिबद्ध की है।
अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद तालिबान ने तेज़ी से अफ़ग़ानिस्तान के विभिन्न प्रान्तों और महत्वपूर्ण शहरों पर कब्ज़ा किया। तालिबान ने अफ़ग़ान सेना के वाहनों, हथियारों और हेलिकॉप्टर इत्यादि पर भी कब्ज़ा किया। 15 अगस्त, 2021 को राजधानी काबुल पर भी तालिबान का नियंत्रण स्थापित हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी समेत कई नेता व नौकरशाह अन्य देशों की शरण में आये हैं। तालिबान का कब्ज़ा हो जाने के बाद अफ़ग़ानिस्तान से विभिन्न देशों ने अपने राजनयिकों और नागरिकों को अपने देश वापस लाना शुरू कर दिया है।
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अफगानिस्तान में कोविड-19 टीकाकरण में 80% की कमी आई : यूनिसेफ रिपोर्ट
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान के नियंत्रण के पहले सप्ताह के भीतर अफगानिस्तान में कोविड-19 टीकाकरण में 80% की कमी आई है।
मुख्य बिंदु
- यूनिसेफ के अनुसार, जॉनसन एंड जॉनसन के टीकों की लगभग दो मिलियन खुराक अफगानिस्तान को वितरित की गई थी। आधे टीके नवंबर में एक्सपायर हो जाएंगे।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार, अफगानिस्तान में 20 अगस्त तक केवल 1.2 मिलियन खुराक दी गई थी, जिसकी आबादी 40 मिलियन है।
अफगानिस्तान में COVID-19
24 फरवरी, 2020 को पहली बार अफगानिस्तान में कोरोनावायरस फैलने की पुष्टि हुई थी। 16 जुलाई, 2021 तक 1,39,051 सकारात्मक मामलों की पुष्टि हुई है। इसी अवधि के लिए 6,71,455 परीक्षण किए गए हैं। काबुल प्रांत में सबसे ज्यादा 18,896 मामले हैं। इसके बाद हेरात में 9,343 मामले और बल्ख में 3,431 मामले हैं। लेकिन सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग एक तिहाई आबादी (10 मिलियन लोग) इस बीमारी से प्रभावित हुई है।
अफगानिस्तान
यह मध्य और दक्षिण एशिया के चौराहे पर स्थित एक भूमि से घिरा देश है। यह पूर्व और दक्षिण में पाकिस्तान, पश्चिम में ईरान, उत्तर में तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान और उत्तर पूर्व में ताजिकिस्तान और चीन के साथ अपनी सीमा साझा करता है। 2020 तक, देश में 31.4 मिलियन लोग रहते हैं। पश्तून, ताजिक, हजारा और उजबेक देश में आम जातीय लोग हैं। यह संयुक्त राष्ट्र , इस्लामिक सहयोग संगठन, ग्रुप ऑफ़ 77, क्षेत्रीय सहयोग के लिए दक्षिण एशियाई संघ, आर्थिक सहयोग संगठन, साथ ही गुटनिरपेक्ष आंदोलन का सदस्य है ।
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केंद्र सरकार की नई ड्रोन पॉलिसी के बारे में जानें ख़ास बातें
नए ड्रोन नियमों को उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021 कहा गया है .केंद्र सरकार ने गुरुवार को ड्रोन उड़ाने के नियमों को उदार बनाने का एलान किया है. नागर विमानन मंत्रालय ने गुरुवार को इस बारे में विस्तृत नियम जारी किए हैं. सरकार का दावा है कि नए नियमों को मार्च में जारी नियमों से काफी उदार बनाया गया है. मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, नए नियमों को ‘’उदारीकृत ड्रोन नियम, 2021’’ का नाम दिया गया है. सरकार को उम्मीद है कि इससे 2030 तक भारत के ‘’वैश्विक ड्रोन हब’’ बनकर उभरने में मदद मिलेगी.
पुराने नियम पांच महीने में ही रद्द हो गए
इससे पहले, मार्च 2021 में नए नियम जारी किए थे. उन नियमों को ‘’मानवरहित विमान प्रणाली (यूएएस) नियम, 2021’’ कहा गया था.हालांकि उन्हें काफी कठोर और ‘प्रतिबंधात्मक’ माना जा रहा था. लोगों की नकारात्मक राय के बाद, महज पांच महीने में उन नियमों को रद्द करने का फ़ैसला लिया है.सरकार का दावा है कि नए नियमों से अर्थव्यवस्था के क़रीब सभी क्षेत्रों जैसे कृषि, खनन, बुनियादी ढांचे, परिवहन, रक्षा, निगरानी, पुलिस कार्य, आपातकालीन सेवा, मैपिंग आदि को बहुत लाभ मिलेगा.
उसका मानना है कि अपनी पहुंच, कई कामों में इस्तेमाल होने, और उपयोग में आसानी के चलते अर्थव्यवस्था को बड़ा फायदा हो सकता है. इससे भारत के पिछड़े और दुर्गम इलाकों को सबसे ज्यादा लाभ मिलने की संभावना जताई गई है. नए ड्रोन नियमों की प्रमुख विशेषताएंअब माइक्रो ड्रोन (गैर-व्यावसायिक उपयोग वाले) और नैनो ड्रोन के लिए रिमोट पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी.
ड्रोन के आयात के लिए अब नागर विमानन महानिदेशालय यानी डीजीसीए की मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी. इसकी बजाय इसका आयात विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी डीजीएफटी के जरिए नियंत्रित किया जाएगा.
नए नियम में साफ किया है कि अब ग्रीन ज़ोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी. साथ ही अब फॉर्म की संख्या घटाकर 25 से केवल 5 कर दी गई है. वहीं ड्रोन पर लगने वाले शुल्क को 72 की बजाय अब केवल 4 कर दिया गया है.
अब येलो ज़ोन का दायरा एयरपोर्ट की 45 किलोमीटर की परिधि की बजाय केवल 12 किलोमीटर तक ही होगा. जबकि ड्रोन का वजन सीमा को 3 क्विंटल से बढ़ाकर 5 क्विंटल कर दिया गया है.
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