यूरोपीय संघ प्रदूषणकारी वस्तुओं के आयात पर कार्बन सीमा शुल्क (Carbon Border Tariff) लगाएगा
यूरोपीय संघ (European Union – EU) देशों ने प्रदूषणकारी वस्तुओं के आयात पर दुनिया का पहला कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन शुल्क लगाने का फैसला किया।
मुख्य बिंदु
- 2020 से, यूरोपीय संघ (EU) स्टील, सीमेंट, उर्वरक, एल्यूमीनियम और बिजली के आयात पर कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन लागत लागू करने का प्रयास कर रहा है।
- इस योजना के बारीक विवरण को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है।
- इस टैरिफ को लगाने का उद्देश्य यूरोपीय उद्योग की रक्षा करना है, क्योंकि यूरोपीय बाजार कमजोर पर्यावरणीय नियमों वाले देशों में बने सस्ते सामानों से भर गया है।
- यूरोपीय संघ के अनुसार, यह कार्बन सीमा शुल्क यूरोपीय संघ की कंपनियों और विदेशों में समान कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) लागत लगाकर एक समान अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है।
लाभ
- यूरोपीय संघ ने माना कि यह कदम किसी भी कार्बन रिसाव से बच जाएगा और साझेदार देशों को मजबूत पर्यावरण नियम और कार्बन-मूल्य निर्धारण नीतियों को स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इससे यूरोपीय संघ (ईयू) के देशों को जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में भी मदद मिलेगी। यह कार्बन टैरिफ प्रस्ताव यूरोपीय संघ की जलवायु परिवर्तन नीतियों का हिस्सा है जिसका उद्देश्य 1990 के स्तर से 2030 तक यूरोपीय संघ के कार्बन उत्सर्जन को 55% तक कम करना है।
- यूरोपीय संघ के देशों और यूरोपीय संसद ने वार्ता की गति बढ़ा दी, क्योंकि 2023 से कार्बन टैरिफ लगाने के लिए तीन साल का संक्रमण चरण शुरू होगा।
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